HomeMysteryRoopkund Lake - एक झील जो सैकड़ों कंकालो से भरी हुई है

Roopkund Lake – एक झील जो सैकड़ों कंकालो से भरी हुई है

Roopkund Skeleton Lake- जिसका बर्फ़ पिघलने के बाद मानवी कंकाल दिखाई देते है।

Roopkund Lake – एक ऐसी जगह जहाँ पर गरमी का मौसम जब आता है, तब धीरे धीरे बर्फ़ पिघलने लगती है। उसी के साथ सैकड़ों मानवी कंकाल उपर आते है। इस जगह पर चारों और इंसान की खोपड़ियाँ और हड्डियाँ देखने मिलेगी।

मन में हज़ारों सवाल उठे होंगे की इतने सारे लोगों की हड्डियाँ इस रूपकुंड झील में आयी कहा से? यहा पर ऐसा क्या हुआ था की इतने सारे लोग मारे गए थे?

इसके पीछे बहोत सारे रहस्य छुपे हुए है। तो जानते इस Roopkund Lake की कहानी के बारे में।

रूपकुंड झील – Roopkund lake:-

Roopkund Lake को “कंकाल झील” या फिर “Mystery Lake” और “Skeleton Lake” भी कहा जाता है। भारत के उत्तरखंड राज्य के चमोलि ज़िल्हे में हिमालय के सबसे उच्च स्थान पर Roopkund Skeleton Lake स्थित है।

इसकी ऊँचाई १६४७० फ़ीट (५०२० मीटर) तक है। इस झील की गहराई तकरिबन ३ मीटर तक है। रूपकुंड झील को पूरे उत्तराखंड राज्य में सबसे ऊँचाई वाला झील माना जाता है।

हिमालय की चोटी पर यह झील होने की वजह से झील के आसपास के परिसर वीरान है। रूपकुंड झील बर्फ़ीले पहाड़ों के बीचोंबीच बना हुआ है। Tourist भी यहा खिंचे चले आते है। मानो इस झील की ख़ूबसूरती हमें अपने और खिंच ले आती है।

आश्चर्यजनक बात यह है की, इतनी ख़ूबसूरत जगह पे यह मानवी अवशेष आए कहा से? Tourist के मन में भी यही सवाल आते है और वहाँ से इसकी खोज शुरू होती है।

Roopkund-Skeleton-Lake
Pic Credit- Schwiki / CC BY-SA

रूपकुंड झील का रहस्य – Roopkund Lake Mystery :-

कहा जाता है की, Roopkund Skeleton Lake में जो मानवी कंकाल मौजूद है उसकी खोज ९ वी शताब्दी से की जा रही है। १९४२ में नंदा देवी गेम रिज़र्व रेंजर H.K. Madhwal (Hari Kishan Madhwal) ने इन कंकालों के बारे में जानने के लिए इस झील की फिरसे खोज की थी।

National Geographic के टीम ने भी इस कंकालो के बारे में जानने की कोशिश की थी। इसीलिए उन्होंने Research के लिए अपनी टीम यहा भेजी थी।

Research करते समय उन्हें इस रूपकुंड झील में और ३० कंकाल मिले और उनपर Study किए गए। Study के दौरान उन्हें यह पता चला की, जो कंकाल मिले उसमें से कुछ कंकालो के साथ अभी भी माँस जुड़ें हुए है।

साल में एक बार गरमी के मौसम में यहा का बर्फ़ पिघलने में एक महीना लगता है। बर्फ़ पिघलने के बाद झील के पानी में यह कंकाल पूरी तरह से साफ़ दिखाई देते है।

वैद्यानिको को इस कंकालो के साथ और भी बहोत सारी चीज़ें मिली थी। जैसे की लकड़ी की चीज़ें, लोहे के भाले, चमड़े की चप्पल यहा तक की गहने भी मिले थे। इस जगह पर ३०० से ज़्यादा कंकाल पाए गए है। इस झील के बारे में अलग अलग बातें बतायी गयी है तो जानते है उसके बारे में।

Roopkund-Lake
Pic Credit:- Ashokyadav739 / CC BY-SA

जपानी सैनिकों के अवशेष? – Skeleton of Japanese Soldiers?

शूरवात में माना जाता था की, यह अवशेष जपानी सैनिकों के है। क्यूँकि दूसरे विश्व युध्य के दौरान भारत पे आक्रमण करने के लिए यह जपानी सैनिक हिमालय के बाक़ी इलाक़ों में से गुज़र रहे थे। मौसम ख़राब होने की वजह से उन सब की मौत हो गयी थी।

उस वक़्त ब्रिटिश सरकार भारत पर शासन कर रही थी। सच्चाई का पता लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने जाँच पड़ताल के लिए वहा पे एक टीम भेजी थी। Research के बाद यह बात सामने आयी की यह कंकाल जपानी सैनिकों के नहीं थे। क्यूँकि यह कंकाल सैकड़ों साल पुराने थे।

लेकिन यहा रहने वाले लोग कुछ अलग कहानी को मानते है।

You May Like:-

नंदा देवी का प्रकोप :-

लोगों का मानना है की कुछ लोगों का समूह इस हिमालय की बर्फ़ीले पहाड़ी में फ़स गया था। उनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। और वो सभी लोग एकसाथ मर गए। यह लोग नंदा देवी के दर्शन के लिए जा रहे थे ऐसा माना जाता है।

हिमालय में नंदा देवी का मंदिर है जो की हिंदुओ का श्रद्धा स्थान माना जाता है। रूपकुंड में हर १२ साल में एक बार “राज जाट” नाम का उत्सव मनाया जाता है। उसी दौरान नंदा देवी की पूजा की जाती है। उस वक़्त बड़ी दूर से लोग यहा आते है।

यहा रहने वाले लोगों के अनुसार, एक बार कनौज (Kanauj) के राजा जसधवल(Jasdhaval) अपनी गर्भवती पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकले थे। वो हिमालय में नंदा देवी के मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे।

राजा के साथ उसके नर्तकी और सैनिक भी तीर्थयात्रा पर निकले थे। बड़े धूम धाम से वो सब लोग तीर्थयात्रा के लिए निकले थे। लोगों के मना करने के बाद भी उन्होंने तीर्थयात्रा के सभी नियम तोड़ दिए थे।

Roopkund-Lake-Himalaya
Pic Credit:- Ashokyadav739 / CC BY-SA

वहा के लोगों की मान्यता थी की ऐसा करने से नंदा देवी माता का प्रकोप हो जाएगा। लेकिन राजा ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। और हिमालय में बर्फ़ीला तूफ़ान आया और राजा के साथ सारे लोगों की मौत हो गयी थी।

लेकिन ये कहानी सच है या जूठ इसका दावा कोई नहीं कर सकता।

आख़िर कंकाल झील के रहस्य का पता चला:-

वैज्ञानिको के Research के बात यह पता चला की, रूपकुंड झील में तकरिबन २०० कंकाल मिले है। यह कंकाल भारतीय आदिवासियों के है। और यह ९ वी शताब्दी के हो सकते है। इन आदिवासियों की मौत बर्फ़ीले तूफ़ान की वजह से हुई थी। इन कंकाल पर और भी रीसर्च हुए थे।

इन कंकालो पर Harney et al (हार्नी एट अल) द्वारा जाँच की गयी। सन २०१८ में मालूम हुआ की इन कंकालो के भी दो अलग-अलग प्रकार के Groups थे। एक group में जो कंकाल मिले थे वो एक ही परिवार के सदस्य के है। और दूसरे Group में जो कंकाल मिले थे वो लोग थोड़े अलग थे। यानी की वह लोग क़द में थोड़े छोटे थे।

वैज्ञानिको का कहना है की इन लोगों की मौत किसी लड़ाई से या फिर हथियार से नहीं हुई थी। बल्कि उन सब की मौत ओलावृष्टि (Hailstorm) होने की वजह से हुई थी। क्यूँकि इन कंकालो का जब अध्ययन हुआ तब उनका सिर के पीछे का भाग फटा हुआ मिला था। इस निष्कर्ष के बाद फिर इन कंकालो पर कोई रीसर्च नहीं हुआ।

इन कंकालो की वजह से Roopkund Lake पर्यटकों का आकर्षण बन गयी। बड़ी दूर दूर से लोग यहा आने लगे। ट्रेकर्स के लिए तो यह जगह बहोत ही अच्छी है।

You May Also Like:-

====

अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करे.

Social media पे भी हमें follow करे.

RELATED ARTICLES

Most Popular