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Lakhamandal Shiv Temple: कहते है मरे हुए लोग यहाँ जिंदा हो जाते है|

The Mystery of the Great Lakhamandal Shiv temple

Lakhamandal shiv Temple– एक ऐसा मंदिर जिसके बारे में कहा जाता है की यहाँ पे मरे हुए इन्सान भी जिंदा हो जाते है| क्या है इस रहस्यमयी Lakhamandal temple का रहस्य?

क्या है इस मंदिर की खास बाते जिसके कारन यह लाखामंडल मंदिर और भी special बन जाता है जानेंगे आज के इस special ब्लॉग में| The Mystery of the Great Lakhamandal temple|

लाखामंडल उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है (Lakhamandal shiv mandir)। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और शक्ति के अनुयायियों के बीच लोकप्रिय है, जो मानते हैं कि इस मंदिर के दर्शन से उनका दुर्भाग्य समाप्त हो जाएगा ।

मंदिर का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: लखा (लाख) का मतलब “कई” होता है और मंडल का मतलब “मंदिर” या “लिंगम” यानि की “वह जगह जहाँ बहुत सारे लिंगम और मूर्तियां हों|”

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लाखमंडल मंदिर का वर्णन (Brief Description of Lakhamandal Shiv Temple):-

यह मंदिर नगर शैली में बना हुआ है| लाखामंडल मंदिर का मुख्य आकर्षण है ग्रेफाइट का लिंगम, जो पानी के सम्पर्क में प्रतिबिम्बित होता है। ग्रेफाइट एक प्रकार का मानिक्य होता है जो पानी के सम्पर्क में चमकता है।

यानि के ऐसा एक शिवलिंग जिसपे जल चढ़ाने पर उसमें आप अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है|

केदारनाथ की ही शैली में बने इस शिवमंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव, माता पार्वती के अलावा काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती, गणेश, दुर्गा, विष्णु, सूर्य, हनुमान आदि भगवानों की भी मूर्तियाँ मौजूद हैं.

Lakhamandal Shiv मंदिर के बाहर दो अच्छी तरह से तराशे हुए मूर्तियाँ हैं। कुछ लोग मानते हैं कि ये मूर्तियाँ पांडव भाई अर्जुन और भीम की हैं। कुछ लोग मानते हैं कि ये मूर्तियाँ दानव यानि की बुरी चीजो को संबोधित करता है और मनुष्य यानि की अच्छी चीजो को संबोधित करता है|

यह सम्मान के साथ-साथ सतर्कता का प्रतीक हो सकते हैं। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ये मूर्तियाँ मंदिर के दो द्वारपालों की हैं, जो मंदिर की सुरक्षा करते हैं।

मंदिर में माता पार्वती के पैरों के निशान भी हैं और मंदिर में लगे हर पत्थर पर गाय माता के खूंट(पैर) के निशान भी हैं।

लाखामंडल मंदिर का इतिहास (Lakhamandal Shiv Temple History in Hindi):-

Lakhamandal Shiv temple side view
Lakhamandal Shiv temple side view Pic Credit:- Bmandola, CC BY-SA 4.0

Lakhamandal मंदिर का इतिहास महाभारत के समय तक वापस जाता है। माना जाता है कि पांडवों ने महाभारत के समय में मंदिर का निर्माण किया था।

लाखामंडल में शिव मंदिर का निर्माण सिंघपुरा (Singh Pura) की राजकुमारी ईश्वरा द्वारा, जलंधर के राजा के पुत्र चंद्रगुप्त की स्प्रिचुल कल्याण के लिए, 6 वी सदी में हुआ था।

इसका मतलब है कि इस मंदिर का निर्माण सिंघपुरा(Singh Pura) की राजकुमारी ईश्वरा ने अपने पति चंद्रगुप्त की स्मृति में करवाया था। इस बात का इतिहास द्वारा समर्थन नहीं किया है , लेकिन लोगों में यह कहानी बहुत प्रचलित है|

लाखामंडल मंदिर से कई धार्मिक कथाएं भी जुडी हुई है| उनमे से एक महत्त्वपूर्ण कथा यह है की पांडवो ने अपनी वनवास के दौरान एक रात में ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया था|

ऐसी बहोत सारी कथाए लोगो के द्वारा बताई जाती है लेकिन इन दावो का समर्थन करने के लिए हमारे पास कोई सबूत नहीं है|

इस मंदिर में मरे हुए लोग हो जाते है जिंदा :-

कुछ लोग मानते हैं कि जब कोई भी व्यक्ति मर रहा होता है या मर चुका होता है, तो उस व्यक्ति को इन मूर्तियों के सामने रख दिया जाता है, उसके बाद मंदिर के पुजारी उस मृत व्यक्ति पर अभिमंत्रित जल छिडकते है और वो कुछ समय के लिए जिंदा हो जाता हैं । जीवित होने के बाद उसे गंगाजल ग्रहण करने देते है और उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है |

यही वजह थी की इस स्थान का नाम पहले “मणा” हुआ करता था। बाद में यहाँ खुदाई के बाद कई शिवलिंग और मूर्तियां मिलीं, जिसके बाद यहाँ का नाम लाखामंडल पड़ा।

ऐसा कहा जाता है की मानव की शक्ति व्यक्ति को जिंदा रखती है, जब कि दानव व्यक्ति की आत्मा को भगवान विष्णु के आश्रम में ले जाता है|

हालांकि यह एक स्थानीय कहानी है जो कुछ लोगों द्वारा मानी जाती है। इसके बारे में कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है और इसे केवल एक मान्यता के रूप में समझा जाता है।

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लाखामंडल मंदिर की कुछ रोचक तथ्य:-

इस मंदिर के बाहर एक शिला है , जिसे लोग अपनी मनोकामनाओं के लिए पूजते है | इस शिला को लोग “आश्चर्यशिला” कहते है | यह मंदिर पहले कभी एक छोटे से छतरी के रूप में बना था , बरसों बाद इसका विस्तार किया गया था |

इस मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग है ,जिसे “उत्तरी केदार” भी कहा जाता है| लोग यहाँ शिवलिंग को अपनी मनोकामनाओ के लिए पूजते है| मंदिर के अन्दर एक अँधेरा कमरा है जहा इसकी पूजा की जाती है |

माना जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग को एक गाय ने खोजा था। गाय यमुना नदी पार कर हर रोज शिवलिंग पर आकर दूध की धार से अभिषेक करती और शिवलिंग की परिक्रमा करती थी।

यहाँ रेहने वाले लोगो को मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति कभी खाली हाथ नहीं लौटता, भगवान महादेव अपने दर पर आने वाले भक्तों की मनोकामना अवश्य ही पूरी करते हैं।

यहां पर आकर भगवान शिव की आराधना करने से समस्त पापों का नाश होता है।

कैसे पहुंचे लाखामंडल? How To Reach Lakhamandal from Dehradun

लाखामंडल मंदिर को पहुंचने का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन देहरादुन रेल्वे स्टेशन (107 km) है और हवाई अड्डा Jolly Grant Airport (130 km) है ।

लाखामंडल मंदिर चक्रता से 100 km की दूरी पर Mussoorie road पर स्थित है । चक्रता से लाखामंडल मंदिर पहुंचने के लिए आपको bus or taxi करनी होगी|

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