Kaal bhairav Temple भारत का ऐसा मंदिर है जहा पे भगवान् Kaal Bhairav को प्रसाद के रूप में शराब दी जाती है. जी हां दोस्तों. आपने सही पढ़ा.
आज हम आपको Kaal Bhairav मंदिर के बारे में बताने वाले है. इस मंदिर में भगवान् कालभैरव को प्रसाद के रूप में दी गयी शराब की Plate देखते ही देखते खाली हो जाती है.
क्या है भगवान् Kaal Bhairav का रहस्य? क्या है इस कालभैरव मंदिर का इतिहास? जानेंगे इस आर्टिकल में.
कालभैरव मंदिर, उज्जैन (Kaal Bhairav Temple, Ujjain):-
Kaalbhairav Temple यह एक हिंदू मंदिर है, जो की भारत में ‘मध्यप्रदेश’ के “उज्जैन” शहर में है. भगवान् Kaal Bhairav को उज्जैन शहर के संरक्षक देवता के रूप में माना जाता है.
कालभैरव मंदिर शिप्रा (Shipra) नदी के किनारे पर स्थापित है और यह मंदिर सबसे जागृत मंदिरों में से एक है जिसकी वजह से कालभैरव के दर्शन के लिए यहाँ पे रोज सैकड़ो लोग आते है.
Kalbhairav Temple में भगवान् कालभैरव की मूर्ति, चट्टान के रूप में एक बड़ा चेहरा है जिसे कुमकुम या फिर सिंदूर से सजाया है. भगवान् कालभैरव का सिर चांदी का है जिसे मराठा शैली के पगड़ी ने सजाया है. यह परंपरा महादजी शिंदे के वक्त से शुरू है.
अष्टभैरव की पूजा यह Saivite परंपरा का एक भाग है. इस परंपरा में “Kaal Bhairav” को सबसे प्रमुख माना जाता है.
कालभैरव उज्जैन के संरक्षक देवता है इसीलिए उन्हें उस नगर का सेनापति माना जाता है.
कालभैरव मंदिर का इतिहास (History of Kaal Bhairav Temple):-
पुराने मंदिर को restore करके ही इस नए मंदिर की रचना की गयी है. स्थानिक लोगों के अनुसार Kaal Bhairav Temple का पुराना मंदिर भद्रसेन नाम के राजा ने बनाया था जिसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है.
अभी जो मंदिर है उसमे मराठा परंपरा का प्रभाव दिखाई देता है जिसकी वजह है “मराठा सेनापति महादजी शिंदे”.
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मराठा सेनापति महादजी शिंदे (Maratha Senapati Mahadji Shinde)
स्थानिक लोगों के अनुसार, पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा सैनिको की हार हो गयी थी. जिसके बाद मराठा सेनापति महादजी शिंदे Kaal Bhairav Temple आये थे. उन्होंने अपनी पगड़ी कालभैरव को अर्पण की और उत्तर भारत के मराठा साम्राज्य को पुनर्स्थापित करने की उनकी योजना में सफलता मिलने की प्रार्थना की.
सेनापति महादजी शिंदे जी ने अपनी योजना में सफल होने के बाद इस का जीर्णोद्धार किया. जिसकी वजह से कालभैरव मंदिर में मराठा परंपरा का प्रभाव दिखाई देता है.
भगवान् कालभैरव की प्रतिमा का मद्यप्राशन करने का रहस्य (Kaal Bhairav Temple Mystery):-
Kaal Bhairav Mandir यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है. वाम मार्गी मंदिरो में मांस, मदिरा, मत्स्य, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाये जाते है.
प्राचीन काल में यह सभी प्रसाद देवताओं को चढ़ाये जाते थे लेकिन अब सिर्फ मद्य अर्पण किया जाता है. Kaal Bhairav Temple के बाहर दुकानदार प्रसाद की टोकरिया बेचते है. जिसमे नारियल और फूल के साथ ही खास तौर पे शराब की bottle भी होती है.
बिना license वाले शराब विक्रेता भाविकों को फसा ना सके, इस वजह से 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने Kaal Bhairav Temple के बाहर शराब का counter शुरू किया है. यहाँ पे देशी और विदेशी दोनों तरह की शराब बेचीं जाती है.
सेकडो भक्त करते है शराब अर्पण:-
रोज सेकड़ो भक्त भगवान् को शराब अर्पण करते है. भक्त शराब की bottle लेने के बाद उसको पुजारी के पास देते है और पुजारी शराब को थाल में डालता है. पुजारी प्रार्थना करके उस थाल को भगवान् कालभैरव के होठों के पास ले जाके थोडासा झुकाते है. भगवान् कालभैरव के होठों में एक छेद है जिसमे से थाल की शराब गायब होने लगती है. उसमे से एक तिहाई शराब उस भक्त को प्रसाद के रूप में लौटाई जाती है.
मंदिर के पुजारी और बाकी भक्तों का मानना है की, मूर्ति के होठों के पास जो छेद है वहा पे कोई भी गुफा नहीं है जिसमे यह शराब जाती हो बल्कि भगवान् Kalabhairava ही शराब पी जाते है.
लेकिन यह भी सच है की मंदिर के पुजारी जाँचकर्ताओं को भगवान् Kaal Bhairav प्रतिमा की जांच नहीं करने देते. मानने वाले इसको भगवान् का चमत्कार मानते है तो कुछ लोग इस चमत्कार को नहीं मानते.
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