HomeInterestingMattur Village: ऐसा गाव जहा बच्चा बच्चा बोलता है संस्कृत|

Mattur Village: ऐसा गाव जहा बच्चा बच्चा बोलता है संस्कृत|

Mattur - The Sanskrit Speaking Village in Karnataka.

Mattur Village: संस्कृत को दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा माना जाता है| संस्कृत भाषा को लेकर अक्सर चिंता जताई जाती है की इस भाषा का भविष्य में कोई उपयोग करेगा भी या नहीं|

लेकिन आज हम आपको भारत के ऐसे गाव के बारे में बतानेवाले है जहा बच्चों से लेकर बूढ़े तक हर कोई संस्कृत में बात करता है| आप कह सकते है की इस गाव की भाषा ही संस्कृत है| तो dosto चलिए जानते है इस अनोखे गाव के बारे में…

Mattur Village (मत्तुर गाव):-

कर्नाटक के हरे-भरे शिमोगा जिल्हे में “मत्तुर” (Mattur Village) तुंगा नदी के तट पर बसा एक छोटा सा गाव है| यह गाव पुरे देशभर में मशहूर है क्योंकी यहाँ रहनेवाले सभी लोग संस्कृत में ही बात करते है| यहाँ का बच्चा बच्चा भी संस्कृत में बात करता है|मत्तुर गाव को “संस्कृत गाव ” भी कहा जाता है|

मत्तुर गाव में तक़रीबन ३०० परिवार रहते है| यहाँ पर आने के बाद आपको लगेगा की आप समय से 3-4000 साल पहले पहुच गये है| क्योंकी यहाँ के हर एक घर से आपको वेद मंत्रो की आवाज सुनाई देगी| मत्तुर गाव में जो लोग रहते है वो वैदिक जीवन शैली का नेतृत्व करते है| वो लोग रोज प्राचीन ग्रंथो का जाप करते है| इस गाव में रहनेवाला हर शक्स फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान सभी लोग संस्कृत में ही बात करते है|

मत्तुर गाव कर्नाटक में होने के कारण इस गाव के आसपास जो गाव है वहा के लोग कन्नड़ भाषा बोलते है| लेकिन मत्तुर गाव में हर एक आदमी संस्कृत में ही बात करता है|

आखिर कैसे संस्कृत भाषा मत्तुर गाव की बोलीभाषा बन गयी :-

लगभग 40 साल पहले सन 1981 मे “संस्कृत भारती” नाम के संस्था ने मत्तुर गाव (Mattur Village)में संस्कृत भाषा का 10 दिन कार्यशाला का आयोजन किया था| उस कार्यशाला में उडुपी के पेजावर मठ के साधू और कई प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया था|

इस कार्यशाला में संस्कृत भाषा को लेकर गाववालों में बहोत उत्साह दिखाई दिया| उसी उत्साह को देखकर संत ने एक विधान किया की “एक जगह जहां लोग संस्कृत बोलते हैं, जहां पूरा घर संस्कृत में बात करता है! आगे क्या? एक संस्कृत गांव!”. और इसी विधान को गाववालों ने आव्हान समजकर स्वीकार कर लिया| तब से लेकर अब तक “संस्कृत” गाव की प्राथमिक भाषा बन गयी|

ऐसा नहीं है की मत्तुर गाव के लोगो को सिर्फ संस्कृत भाषा ही आती है बल्कि इस गाव में रहनेवाले लोग बहुत अच्छी English भी बोलते है और कर्नाटक की भाषा भी जानते है|

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आपको जानकर हैरानी होगी की गाव में सिर्फ एक ही पाठशाला है| उस पाठशाला में भी बच्चो को पारंपारिक तरीके से सिखाया जाता है| यहाँ पर पेड़ के निचे बैठे गुरु और शिष्य की गुरुकुल परंपरा भी देखने को मिलेगी| इस गाव ने अकेले कर्नाटक को 30 से भी ज्यादा संस्कृत प्रोफ़ेसर दिए है|

जानकारों का कहना है की जप और वेदों के ज्ञान से स्मरण शक्ति बढती है और ध्यान लगाने में मदत मिलती है| Experts कहते है की संस्कृत सिखने से गणित और तर्कशास्त्र का ज्ञान बढ़ता है| ये दोनों विषय आसानी से समझ आते है | वैदिक गणित सिखने के बाद यहाँ के युवाओ को Calculator की भी जरुरत नहीं पढ़ती|

गाव के कई युवा M.B.B.S या Engineering के लिए विदेश भी जाते है| इसीलिए गाव में हर एक परिवार में कम से कम एक Engineer है| इस गाव के बच्चे किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है|

इस गाव में संस्कृत का course सिखाया जाता है :-

Pic Credit- Santhosh Krishnan

मत्तुर गाव में संस्कृत सिखाने का course चलाया जाता है| कई शहरों से बच्चे यहाँ संस्कृत सिखने आते है| मत्तुर गाव के गुरु कहते है की वो पूरी संस्कृत आपको केवल 20 दिन में सिखा देंगे वो भी free में | लेकिन पुरे 20 दिन बच्चो को इस गाव में ही रेहना होगा|

मत्तुर गाव में ना कोई hotel ना कोई Reastaurant और रेहने के लिए न कोई Guest House है| इस गाव में रहनेवाले लोग वैदिक काल की तरह मेहमानों के लिए अपने घर में ही रेहने का प्रबंध करते है| यहाँ सब बच्चे परंपरागत वस्त्र पेहनते है और बालो की पीछे चोटी रखते है|

दोस्तों देखने से आपको लग रहा होगा की यह गाव आधुनिक प्रगति से कितना दूर है लेकिन इस गाव में Internet के साथ-साथ 21 वी सदी की सारी सुविधाए उपलब्ध है और वही आध्यात्मिक भारत की महक भी दिखाई देती है|

मत्तुर गाव में सब्जी विक्रेता से लेकर पुजारी तक सभी संस्कृत में बात करते है | छोटे बच्चे भी आपस में बात करते हुए , झगड़ते हुए या मैदान में Cricket खेलते हुए संस्कृत में ही बात करते है| इस गाव की सबसे अच्छी बात यह है की यहाँ पर ना कोई जातिभेद है और ना कोई वाद-विवाद| सब लोग एक दुसरे के साथ मिल जुल के रहते है|

कहा हम 21 वी सदी में रहकर अपने संस्कृति से दूर हो रहे है और कहा वो मत्तुर गाव जहा पर आज भी अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने की कोशिश कर रहा है|

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