Kakanmath Mandir: हमारे भारत देश में बहोत सारी प्राचीन मंदिर है जो हमारे धर्म और संस्कृति की याद दिलाते है| हर मंदिर के पीछे कोई ना कोई कहानी छुपी होती है| हम बात कर रहे है ऐसी ही एक अद्भुत मंदिर की जिसके बारे में कहा जाता है की इस मंदिर को भूतों ने बनाया है|
सुनने के लिए थोडा अजीब लगता है लेकिन यह मंदिर 1000 साल पुराना है| इस मंदिर में शाम होने के बाद कोई नहीं रुकता| लोग केहते है इस मंदिर पर भूतों का साया है| तो आइए dosto जानते है इस मंदिर के पीछे कि कहानी….
Kakanmath Mandir (ककनमठ मंदिर) :-
देवों के देव महादेव को भोलेनाथ भी कहा जाता है | महादेव के कई सारे नाम और रूप है| ऊन्हे भूतनाथ भी कहा जाता है क्युकी महादेव सिर्फ देवी- देवतओं और इंसानों के भगवान नहीं है बल्कि वो भुत- प्रेतों के भी भगवान है|
प्राचीन कथा में लिखा गया है की जब भगवान शिव की शादी हुई थी तब देवी- देवताओ के साथ भुत -प्रेत भी बाराती बनकर आये थे|इसीलिए भगवान शिव को भूतनाथ भी कहा जाता है |
हम जिस मंदिर की बात कर रहे है उसका नाम है “ककनमठ मंदिर “| यह मंदिर मध्य प्रदेश में मोरना जिल्हे में सिहोनिया गाव में स्थापित किया गया है |
आखिर ये मंदिर (Kakanmath Mandir) कैसे बनाया गया है ?
Kakanmath Mandir (ककनमठ मंदिर) बड़े – बड़े पत्थरों से बनाया गया है| इस मंदिर की ऊंचाई तकरीबन १३० फिट है | सबसे खास बात यह है की ककनमठ मंदिर बनाते समय किसी भी तरह के सीमेंट गाड़े का उपयोग नहीं किया है | कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण 1015 से 1035 के बीच हुआ था |
जब भी आप इस मंदिर को देखेंगे तो आपको लगेगा की सभी पत्थर एक के ऊपर एक रखे गए है| और एक पल के लिया लगता है की यह पत्थर कभी भी गिर सकते है| लेकिन इतने साल हो गये लेकिन आज भी इस मंदिर का एक भी पत्थर नहीं हिला है|
जब इस मंदिर का काम पूरा हुआ तब इस मंदिर के आसपास 4 और मंदिर थे | पिछले 1000 सालो में आसपास की सभी मंदिर नष्ट हो गए लेकिन ककनमठ मंदिर का एक भी पत्थर नहीं हिला | इतने सालो में कई आंधी और तूफान आ गए लेकिन इसका इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं हुआ |
यह मंदिर बनाते समय जिस पत्थर का उपयोग किया गया था वो पत्थर आसपास कही भी दिखाई नहीं दिए | सोचने वाली बात है की इतने सारे पत्थर आये कहा से ? और उन पत्थरों को कैसे लाया गया ? ये भी कहा जाता है की भूतों ने एक रात में इस मंदिर को बनाया है|
आज भी इस मंदिर काम है अधुरा :-
जब आप इस मंदिर को ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा की इस मंदिर का काम अधुरा ही छोड़ा गया है | ऐसा कहा जाता है की एक रात में भूतों ने इस मंदिर को बनाया और सुबह होने से पहले जितना मंदिर बना उतना ही छोड़कर वो भाग गए इसीलिए यह मंदिर अधुरा है ऐसा कहा जाता है |
लेकिन ऐतहासिक तौर पर इस मंदिर का निर्माण राजा किर्तिराज ने ही किया था | कहते है की भूतों प्रेतों ने इस मंदिर को शाप दिया है | लेकिन उस शाप की वजह से आजतक इस मंदिर को कोई नुकसान नहीं पंहुचा है |
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इस मंदिर का नाम ककनमठ क्यों रखा गया ?
ककनमठ मंदिर के बारे में बहोत सारी कहानिया बताई गयी है| एक कहानी यह बताई जाती है की कच्छवाहा वंश के राजा कीर्तिसिंह की पत्नी ककानवती भगवान शिव की बहोत बड़ी भक्त थी | कहते है अपनी पत्नी के लिए राजा कीर्तिसिंह ने इस मंदिर का निर्माण किया है | इसीलिए इस मंदिर को ककनमठ के नाम से जाना जाता है |
इस मंदिर में एक विशाल शिवलिंग स्थापित किया है | इस शिवलिंग की गहराई कोई नाप नहीं सकता | Scientist का मानना है की यह मंदिर बनाते समय Newton के “Center of Gravity” के नियमो का उपयोग किया गया है | यह मंदिर बनाते समय यह पत्थर एक दुसरे के ऊपर ऐसे रखे गए है की वो अपनी जगह से हिल नहीं सकते|
इतना ही नहीं “Archaeological Survey of India” ने भी कहा है की वो किसी भी तरह से इस मंदिर को दुरुस्त नहीं कर सकते | क्युकी वो अगर ऐसा प्रयास भी करते है तो पूरा मंदिर नष्ट हो सकता है| इसीलिए यह मंदिर आजतक अधुरा ही रखा गया है|
आज भी ककनमठ शिव मंदिर Newton ने बताये गए गुरुन्वाकर्षण नियमों का एक उत्तम उदहारण है |
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