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Saraswati River – सरस्वती नदी कहा गयी? गंगा, यमुना, सरस्वती

Saraswati River- The Lost River of India

आपको तो पता ही है की, हमारे भारत देश में नदियों का बहोत ज्यादा महत्त्व है. धार्मिक स्थलों पर नदियों की पूजा की जाती है. नदी को हम भगवान् का दर्जा देते है. और नदी की बात की जाए तो भारत में सबसे ज्यादा पवित्र नदियों में गंगा,यमुना और सरस्वती नदी (Ganga, Yamuna & Saraswati River) का सबसे ज्यादा उल्लेख रहता है.

उत्तर प्रदेश के प्रयाग में इन तीनो नदियों के संगम को “त्रिवेणी संगम” के बारे में जाना जाता है. लेकिन क्या आपको ये पता है की प्रयाग में सिर्फ दो नदियों का ही संगम देखा जा सकता है? और जो की गंगा और यमुना नदी का है. 

तो फिर सरस्वती नदी (Saraswati River) का क्या हुआ? सरस्वती नदी कहा गयी? अगर प्रयाग में सिर्फ दो ही नदियों का संगम होता है तो फिर उसे त्रिवेणी संगम क्यों कहते है?

तो दोस्तों इस लेख को आखिर तक पढ़ते रहे, आपको सभी के answer मिल जाएंगे.

Saraswati River:-(सरस्वती नदी)

Saraswati River के बारे में सब लोग जानते है. हिंदू संस्कृति में जब हम शादियों में जाते है तो वहा पे मंगलाष्टक में भी गंगा, सिंधु, यमुना के साथ ही “सरस्वती नदी” का नाम आता है. सबने सरस्वती नदी का नाम सुना है, लेकिन आज तक उस नदी को किसी ने नहीं देखा. सरस्वती नदी का वास्तव कहा है ये कोई नहीं जानता.

सरस्वती नदी का स्रोत: (Saraswati River Source)

महाभारत में किये गए उल्लेख के अनुसार सरस्वती नदी हरियाणा में यमुनानगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा निचे आदिबद्री नाम के स्थान से निकलती थी.

लेकिन आज “आदिबद्री” नाम के स्थान से जो नदी बहती है, वो ज्यादा दूर तक नहीं जाती. कई लोक इसी पतली धारा की तरह, जगह-जगह दिखाई देने वाली नदी को ही “सरस्वती नदी” (Saraswati River) कहते है.

लेकिन अगर हम शास्त्रों और पुराणों का आधार ले तो आदिबद्री से निकलने वाली ये नदी सरस्वती नदी से मेल नहीं खाती.

वैदिक ग्रंथो में सरस्वती नदी का उल्लेख Mention of Saraswati River in Vedic Texts:-

वैदिक काल में सरस्वती नदी की बेहद बड़ी महिमा थी. इस नदी को आज के गंगा नदी की तरह परम पवित्र माना जाता था.

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Saraswati River

ऋग्वेद में इस नदी का वर्णन एक बेहद विशाल नदी के जैसा बताया जाता है. जिससे की ये अंदाजा लगाया जा सकता है की, आज की आदिबद्री से निकलने वाली नदी, सरस्वती नदी से अलग है. या फिर ऐसा भी हो सकता है की समय के साथ हुए भौगोलिक बदलाव के कारण, sarasvati river जैसे महाकाय नदी का रूपांतर इस छोटे से नदी में हुवा होगा।

वाल्मीकि ऋषि ने भी रामायण में भरत के कैकेय देश से, अयोध्या आने के प्रसंग में सरस्वती और गंगा नदी को पार करने का वर्णन किया है.

महाभारत में भी कई राजाओं के द्वारा इस नदी के तट पे यज्ञ किया जाने का उल्लेख है. आज भी यहाँ पे कुछ यज्ञ कुण्डो के अवशेष मिले है जो महाभारत में बताये गए जिक्र से मेल खाते है.

त्रिवेणी संगम:- (Triveni Sangam) Allahabad/Prayagraj

ऐसा कहा जाता है की, ऋग्वेद काल में सरस्वती नदी समुन्दर में जाके मिलती थी जिससे की सरस्वती नदी कभी गंगा नदी में मिली ही नहीं. लेकिन वहा पे आये भूचाल के कारण जब निचे की जमीन ऊपर उठी, उसकी वजह से सरस्वती नदी का पानी यमुना नदी में गिर गया और यमुना नदी के साथ ही साथ सरस्वती नदी भी गंगा नदी में मिलने लगी.

यमुना नदी, सरस्वती नदी के साथ ही गंगा नदी में प्रयाग में मिलती है जिसकी वजह से वहा पे तीन नदी का संगम यानी की त्रिवेणी संगम कहा जाता है. लेकिन practically देखा जाए तो वह पे हमें सिर्फ गंगा और यमुना नदी का संगम ही देखने को मिलता है.

सरस्वती नदी गायब/लुप्त क्यों हुई? Why Sarasvati River Disappeared?

विलुप्त सरस्वती नदी का अध्ययन करने वाले पुरातत्व शास्त्री और अल्लाहाबाद पुरातत्व संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित बताते है की, 

समय के साथ साथ सरस्वती नदी को पानी देने वाले Glacier (हिमनद) सुख गए. इसके कारण एक तो नदी का बहाव कम हो गया, या फिर सिंधु, सतलज और यमुना जैसी नदियों ने सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र पे कब्ज़ा कर लिया.

इन सब बातो से हमें ये अंदाजा तो हो जाता है की, पुराने ज़माने में सरस्वती नदी थी और उसका महत्त्व गंगा नदी की तरह ही पवित्र था.

हालांकि समय के चलते कुछ भौतिक बदलाव के कारण या अन्य कुछ बदलाव से सरस्वती नदी लुप्त हो गयी. लेकिन इसके बावजूद आज भी सरस्वती नदी (Saraswati River) का महत्त्व भारतीय लोगो के मन में कायम है और हमेशा ऐसे ही रहेगा.

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