हमारे भारत देश मे बहोत सारे प्राचीन क़िले है। हर एक क़िले के पीछे कुछ ना कुछ ऐतहासिक कहानी छुपी हुई है। आज हम आपको बताने वाले है एक ऐसे क़िले के बारे में, जिसके बारे में ज़्यादा कोई नहीं जानता। उस क़िले का नाम है कुम्भलगढ़ किला (Kumbhalgarh Fort) जिसे बहुत ही ख़ूबसूरत तरीक़े से बनवाया है। तो दोस्तों जानते है इस क़िले के इतिहास के बारे में।
कुम्भलगढ़ किला (About Kumbhalgarh Fort):-
राजस्थान हमेशा ही पर्यटकों का आकर्षण स्थल बना हुआ है। हमारे पिछले article में भी हमने राजस्थान में कई जगह के बारे मे जानकारी दी है। कुम्भलगढ़ किला भी राजस्तान मे राजसमंद ज़िले के पास उदयपुर मे आता है।
चित्तौड़गढ़ क़िले के बाद कुम्भलगढ़ का किला (Kumbhalgarh Fort) मेवाड़ का सबसे महत्वपूर्ण किला है। कुंभलगढ़ किला अरावली पहाड़ी पर स्थापित है।
कुम्भलगढ़ दुर्ग को पूरी दुनिया मे सबसे बड़ा किला माना जाता है। कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान राज्य के पहाड़ी किलो मे से एक है। जिसकी वजह से इस क़िले को २०१३ मे युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) घोषित किया है।
Kumbhalgarh Fort का निर्माण राणा कुंभा ने १५ वी सदी मे किया था।
कुम्भलगढ़ क़िले का इतिहास (History Of Kumbhalgarh Fort):-
Kumbhalgarh Fort के बारे में इतिहास में ज़्यादा कोई जानकारी मौजूद नहीं है। इस क़िले को पहले “मछिंद्रपुर” के नाम से जाना जाता था। उसके बाद एक इतिहासकार साहिब हकीम ने कुंभलगढ़ क़िले का नाम “महोरे” रखा था।
राणा कुंभा:-
ये भी कहा जाता है की इस क़िले का निर्माण ६ वी सदी में मौर्य युग के राजा संप्रति ने किया था। कुम्भलगढ़ क़िले का अभी का structure राणा कुंभा ने किया था। राणा कुंभा जो के सिसोदिया राजपूत वंश से मेवाड़ के राजा थे।
कुम्भलगढ़ क़िले का निर्माण करने के लिए राणा कुंभा ने प्रसिध्द वास्तुकार “मदन” की सहायता ली थी।
राणा कुंभा के मेवाड़ राज्य का साम्राज्य बहोत ही बड़ा था। उनके पास पूरे ८४ forts थे। उनमें से ३२ forts का निर्माण राणा कुंभा ने किया था। उन सभी किलो में से कुम्भलगढ़ सबसे बड़ा किला है।
कुम्भलगढ़ क़िले ने मेवाड़ और मारवाड़ साम्राज्य की अलग अलग कर दिया था। जब भी कोई युद्ध होता था, तब मेवाड़ के सैनिक इससे बचने के लिए कुम्भलगढ़ क़िले का सहारा लेते थे।
मेवाड़ के राजा प्रिन्स उदय ने भी कुंभलगढ़ क़िले पर राज्य किया था। इस क़िले को महाराणा प्रताप की जन्मभूमि भी कहा जाता है। १४५७ में गुजरात के अहमद शाह ने कुम्भलगढ़ क़िले पर आक्रमण किया था लेकिन उसकी कोशिश असफल रही।
बनमाता देवी:-
यहाँ रहनेवाले लोगों को कहना है की बनमता (Banmata) देवी ने ही कुम्भलगढ़ क़िले की रक्षा की, जिसकी वजह से आक्रमण के बाद भी ये किला सुरक्षित था। ये बनमता देवी का मंदिर कुम्भलगढ़ क़िले के अंदर ही है। जब ये बात अहमद शाह को पता चली तब उसने इस मंदिर को ही मिटा दिया।
बाद में महमूद ख़लजी ने फिरसे १४५८-५९ और १४६७ में इस क़िले पर आक्रमण किया था। लेकिन वो भी असफल रहे। इस क़िले को बहोत सारे राजाओं ने अपने हिरासत में लेने की बेहद कोशिश की लेकिन वो सभी असफल रहे।
अंत में सन १८१८ में मराठों ने इस क़िले को अपनी हिरासत में लिया था।
कुम्भलगढ़ क़िले की संरचना (Structure of Kumbhalgarh Fort):-
Kumbhalgarh Castle अरावली पहाड़ी पर बना हुआ है। यह पहाड़ी समुद्र तल से १,१०० मीटर ऊपर है। इस क़िले की सबसे हैरान करनेवाली बात ये है की, क़िले की दीवार ३६ किमी लम्बी है। इसीलिए इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक माना जाता है। यह दीवार १५ फ़ीट चौड़ी है।
कुम्भलगढ़ क़िले के ७ main gate है। क़िले के अंदर ३६० से भी ज़्यादा मंदिर है। विशेष बात ये है की Kumbhalgarh Fort की दीवारों (Wall) से, थार रेगिस्थान के रेत की टीले दिखाई देती है।
कथाओं के अनुसार महाराणा कुंभा, घाटी में रात भर कम करनेवाले किसानो को प्रकाश देने के लिए ५० kg घी और १००kg कापुस ख़र्च करते थे। जिससे की किसानो को अंधेरे में काम करने में तकलीफ़ ना हो।
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भारत की महान दीवार (The Wall of Kumbhalgarh Fort) :-
“The great wall of china” के बाद Kumbhalgarh Fort Wall दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है। इसीलिए इसे “The Great wall of India ” भी कहा जाता है।
कहते है की इस दीवार पर एक साथ पाच घोड़े दौड़ सकते है। इस क़िले के बारे में ज़्यादा लोग नहीं जानते, लेकिन फिर भी इसकी सुंदरता अपने आप में ही ख़ास बात है। कुंभलगढ़ क़िले को “UNESCO World Heritage Site ” घोषित किया है।
क़िले की महत्त्वपूर्ण जगह (Important Places of Kumbhalgarh Fort):-
जब आप कुंभलगढ़ क़िले के अंदर प्रवेश करेंगे तब आपको बहोत सारी चीज़ें देखने मिलेगी।
लखोला टैंक (Lakhola Tank):-
क़िले के अंदर आपको लखोला टैंक देखने को मिलेगा, जो की सबसे उल्लेखनीय है। इसीलिए सबकी नज़र पहले उसपे ही पड़ जाती है। इस टैंक का निर्माण राणा लाखा ने १३८२-१४२१ के दौरान किया था। इस टैंक की लंबाई ५km और चौड़ाई १०० से २०० meter तक है।
बादशाही बावड़ी:-(Badshahi Bavadi)
कहा जाता है की १५७८ में यूध्य के दौरान शाहबाज़ खान ने अकबर सैनिकों को पानी देने के लिए इस बावड़ी को बनाया गया था।
गणेश मंदिर:-(Ganesh Temple)
गणेश मंदिर को इस क़िले के अंदर का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की ख़ासियत ये है की यह मंदिर १२ फ़ीट की मंच पर बना हुआ है।
कुम्भलगढ़ क़िले के त्योहार (Festivals of Kumbhalgarh Fort):-
इस क़िले पर हर साल राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा महाराणा कुंभा की याद में ३ दिन का मेला रचाया जाता है। यह मेला बहोत ही बड़ा और आकर्षक होता है। बड़ी दूर से लोग इस मेले को देखने आते है। लोगों के लिए मेले में अलग प्रकार के संगीत और नृत्य के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है।
ऐसी बहोत सारी जगह आपको इस क़िले में देखने मिलेगी। अगर आप कभी राजस्थान जाएँगे तो इस क़िले को ज़रूर Visit कीजिए और आपका experience हमारे साथ share करे।
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