HomeInterestingShani Shingnapur - गाँव के एक भी घर में दरवाज़े नहीं है।

Shani Shingnapur – गाँव के एक भी घर में दरवाज़े नहीं है।

Shani Shingnapur – ऐक ऐसा गाँव, जहाँ के एक भी घर में दरवाज़ा नहीं है। आप सुनकर हैरान होंगे लेकिन यही सच है। इसी बात की वजह से यह गाँव दुनियाभर में मशहूर है। ऐसा कहा जाता है की यह गाँव भगवान के भरोसे चलता है। क्यूँकि इस गाँव में रहनेवाले लोगों की भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा है।

भारत में महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िल्हे में Shingnapur गाँव स्थित है। जिसे “Shani Shingnapur” के नाम से भी जाना जाता है। तो जानते है इस गाँव की कहानी के बारे में।

Shani Shingnapur:-

जो लोग शिर्डी जाते उन लोगों को इस गाँव के बारे में शायद पता होगा। Shingnapur गाँव अहमदनगर से सिर्फ़ ३५ km दूरी पर ही है। “Shani Shingnapur” गाँव में शनि देवता का जागृत देवस्थान है। यह गाँव शनि देवता की वजह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह कोई सामान्य मंदिर नहीं बल्कि बहुत ही चमत्कारिक है।

अभी आप सोच रहे होंगे की इसे चमत्कारी गाँव क्यू कहते है। तो आपको बता दे की “Shani Shingnapur ” गाँव में किसी भी घरों या दुकानो पर कोई दरवाज़ा नहीं है।

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Pic Credit:- Swati Jain (BBC.com)

इस गाँव के घरों में दरवाज़े नहीं है, इसके पीछे भी मंदिर से जुड़ी कई बातें हो सकती है। यहा पर दरवाज़े न होने के कारण ताला लगाने का सवाल ही नहीं उठता। इस गाँव में चोरी नहीं होती। माना जाना जाता है की इस गाँव में जो भी चोर चोरी करने का प्रयास करेगा, उसे शनि देव सज़ा देते है।

चोरी करके भाग नहीं सकते:-

कहा जाता है की एक दो बार यहा चोरी हुई थी। लेकिन चोर चोरी करके ज़्यादा दूर तक नहीं भाग सके क्यूँकि शनि देव, चोरों को गाँव के बाहर जाने ही नहीं देते। यह अफ़वा नहीं है बल्कि सच है।

चोरों ने यह ख़ुद क़बूल किया है की, इस गाँव में चोरी करके वो गाँव से बाहर नहीं जा सकते। बल्कि रास्ता भटकते रहते है। इसीलिए इस गाँव में चोरी करने का कोई दुसाहस नहीं करता।

यह बात किसी चमत्कार से कुछ कम नहीं है। शनि देव की शनि शिंगणापुर गाँव पर विशेष कृपा है। इसीलिए यहा के लोग ख़ुद को सुरक्षित महसूस करते है। यहा रहने वाले लोग किसी भी संकट से नहीं डरते और उन्हें किसी का भय भी नहीं लगता। वो अपना जीवन खुल के जीते है।

Shani Shingnapur में जो शनि मंदिर है वो पूरी दुनिया में प्रसिध्द माना जाता है। लेकिन यह मंदिर इस गाँव में आया कहा से? जानते है इस मंदिर की कहानी के बारे में।

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Shani Shingnapur गाँव के शनि मंदिर की कहानी :-

कई सालों से लोगों से हम शनि शिंगणापुर गाँव की कहानी सुनते आ रहे है। एक दिन शनि शिंगणापुर गाँव में ज़ोरों की बारिश हो रही थी। उसी बारिश की वजह से शिंगणापुर गाँव में बहोत बढ़ी बाढ़ आ गयी थी।

पानी इतना बढने लगा था की सब डूबने लगे थे। लोग कहते है की वो बाढ़ नहीं थी बल्कि कोई तो दैवी शक्ति थी। लेकिन फिर सब कुछ शांत हो गया था।

जब पानी कम होने लगा तब एक व्यक्ति ने पेड़ में अटका हुआ बड़ा सा पथ्यर देखा। वो थोड़ा हैरान था क्यों की उसने जो पत्थर देखा वो सामान्य नहीं था। बिलकुल अलग तरीक़े का था। उस व्यक्ति ने उस पत्थर को उठाने की कोशिश की तो उसमें से ख़ून बहाने लगा। वो डर गया और वहा से भाग गया।

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Pic Credit:-Maskaravivek / CC BY-SA

उसने यह सारी बातें गाँव वालों को बताई। उसकी बातें सुनकर सब लोग हैरान हो गए। ज़रा सी भी देर नहीं करते हुए सब लोग उस पत्थर के पास जा के पहुँच गए।

सभी लोग आश्चर्यचकित हो गये की इतना बड़ा पत्थर पानी में बह के कैसे आ सकता है। लेकिन किसी ने उस पत्थर को उठाने की कोशिश नहीं की।

सभी ने गाँव में लौट जाने का फ़ैसला किया। उसी दिन रात में उसी व्यक्ति के सपने में शनि देव आए और उन्होंने कहा की “मैं शनिश्वर हु, जो काला पत्थर तूझे आज मिला है वो मेरा स्वयंभू अवतार है। उसे अपने गाँव में लेके आओ और मेरी स्थापना करो“।

उसने यह बात गाँव वालों को बताई और सभी लोग उस पत्थर को उठाने चले गए। सबकी बहोत कोशिशों के बावजूद वो पत्थर अपनी जगह से नहीं हिल सका।

मामा भांजे का महत्व:-

तब गाँव वालों ने सोचा की पत्थर उठाने के लिए कोई और तरकीब निकालेंगे। और वो सभी वापस लौट गए। उस रात शनि देव फिर से उस व्यक्ति के सपने में आए और उन्होंने कहा की “मैं उस जगह से तभी हिलूँगा जब मुझे उठाने वाले लोग रिश्ते में सगे मामा भांजे होंगे“।

इसीलिए अगर सगे मामा-भांजे एक साथ शनि देव का दर्शन करेंगे तो उनके लिए वो बहुत ही फ़ायदेमंद होगा। जब मामा-भांजे ने पत्थर को हाथ लगाया तब वो पत्थर जगह से हिल गया।

उसके बाद एक बड़े से मैदान में उसकी स्थापना कर दी गयी। क्यूँकि शनिदेव ने ही उस व्यक्ति को सपने में आकर कहा था की, उन्हें मंदिर में स्थापित करने की ज़रूरत नहीं है। यह खुला आसमान ही उनका छत है।

हर शनिवार को भक्तजन शनि देव को तिलभिषेक करते है। यानि सरसों के तेल का अभिषेक करते है। “शनि त्रयोदशी” शनि देव का प्रिय दिवस माना जाता है। शनिवार को यहा हज़ारों भक्त दर्शन के लिए आते है।

Shani Shingnapur गाँव के कई सालों के इतिहास में चोरी, झगड़े, हत्या या फिर बलात्कार की एक भी घटना नहीं हुई है।

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